

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर और बंगाल से आने वाले बल्लेबाज मनोज तिवारी ने हेड कोच गौतम गंभीर की चयन नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इंग्लैंड के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज के बीच तिवारी ने कहा कि, गंभीर की रणनीति में न तो स्थिरता है, और न ही स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों पर भरोसा।
स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की है टीम को जरूरत
तिवारी ने कहा, “टेस्ट मैच विशेषज्ञ खिलाड़ियों का खेल है, लेकिन अब हम ऑलराउंडर्स पर अधिक भरोसा कर रहे हैं। ऐसे खिलाड़ियों को टीम में जगह दी जा रही है जो हाल ही में प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं, जबकि अनुभवी और स्थायी खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया जा रहा है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत-न्यूजीलैंड सीरीज के दौरान वॉशिंगटन सुंदर को बाहर से टीम में लाया गया, जबकि रविचंद्रन अश्विन, जो पहले से स्क्वॉड में थे, को मौका नहीं मिला।
मनोज तिवारी ने आगे कहा, “साई सुदर्शन को पहले टेस्ट में शामिल किया गया और फिर तुरंत बाहर कर दिया गया। करुण नायर को नंबर तीन पर भेजा गया। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हमने हर्षित राणा और देवदत्त पडिक्कल को खिलाया, लेकिन हर्षित अब टीम में ही नहीं हैं, और अब अंशुल कम्बोज को मैनचेस्टर टेस्ट में डेब्यू दिया गया है।”
खिलाड़ियों में आत्मविश्वास की कमी
उन्होंने यह भी कहा कि, लगातार बदलावों से टीम का संतुलन और आत्मविश्वास दोनों प्रभावित हो रहे हैं। “गंभीर का बार-बार खिलाड़ियों को बदलना टीम के कोर को नुकसान पहुंचा रहा है। किसी भी खिलाड़ी को आत्मविश्वास तभी आएगा, जब उन्हें लंबा समय मिलेगा।”
मनोज तिवारी ने विशेष रूप से कुलदीप यादव की उपेक्षा को सबसे चौंकाने वाला फैसला बताया। उनका कहना है कि, कुलदीप एक मैच विनर हैं और उन्हें नजरअंदाज करना समझ से परे है।
तिवारी ने आखिर में कहा, “गंभीर खिलाड़ियों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं और टेस्ट जैसे फार्मेट में यह रणनीति सफल नहीं हो सकती। मैं खुद एक पूर्व खिलाड़ी होने के नाते यह मानता हूं कि विशेषज्ञ खिलाड़ियों के बिना टेस्ट जीतना संभव नहीं है।”
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