

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच मैचों की टी-20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला कल यानि 9 दिसंबर से आरम्भ होगी। इस श्रृंखला का पहला मुकाबला कुट्टक के बरबटी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में खेला जायेगा। भारतीय टीम के नज़रिये से इस श्रृंखला में हार्दिक पंड्या और उप-कप्तान शुभमन गिल जैसे कई अनुभवी खिलाड़ी दल में वापसी करते नज़र आएंगे।
इसी बीच भारत के टी-20 अंतरराष्ट्रीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पुष्टि की है कि टीम ने 2026 टी-20 विश्व कप की तैयारी मौजूदा दक्षिण अफ्रीका श्रृंखला से शुरू नहीं की है। बल्कि, उन्होंने खुलासा किया कि यह योजना और प्रक्रियाएँ 2024 में रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम द्वारा टी-20 विश्व कप जीतने के तुरंत बाद ही शुरू कर दी गई थीं। उनका यह बयान प्रमुख वैश्विक टूर्नामेंटों की तैयारी के प्रति टीम के दृष्टिकोण में आए बड़े बदलाव को रेखांकित करता है।
सूर्यकुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में इस दीर्घकालिक रणनीति को समझाने के लिए एक उदाहरण दिया। उन्होंने इसकी तुलना एक छात्र की शैक्षणिक सफलता से करते हुए कहा कि जैसे एक छात्र को परीक्षा में अच्छा स्कोर करने के लिए पूरे साल लगातार पढ़ाई करनी होती है, वैसे ही एक क्रिकेट टीम अचानक एक या दो महीने पहले तैयारी शुरू करके कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतने की उम्मीद नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि टीम 2024 से विभिन्न संयोजन और रणनीतियों पर काम कर रही है, और “शुक्र है, वे हमारे पक्ष में काम कर रहे हैं।”
घरेलू क्रिकेट का महत्व सर्वोपरि
कप्तान ने खिलाड़ी की फॉर्म और फिटनेस बनाए रखने में घरेलू क्रिकेट की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की नींव घरेलू सेटअप में छिपी हुई होती है और उन्हें कभी भी इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
वर्तमान टीम के कई खिलाड़ी, जिनमें वरुण चक्रवर्ती, हार्दिक पांड्या, अभिषेक शर्मा और शिवम दुबे जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले जाने वाली टी-20 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला से ठीक पहले सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 में हिस्सा लिया था और अपनी नीव को बुलंद करने हेतु निरंतर रूप से अपनी प्रतिभा को और बेहतर भी किया।
सूर्यकुमार ने समझाया कि घरेलू प्रतियोगिताएँ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जितनी ही चुनौतीपूर्ण होती हैं और जब खिलाड़ी राष्ट्रीय ड्यूटी पर नहीं होते हैं, तो यह उन्हें “खेल के संपर्क में” रहने में मदद करती हैं। उनका मानना है कि इन मैचों को खेलने से खिलाड़ियों को नई चीजें सीखने और प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलती है।
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