
Sunil Gavaskar (Image Credit- Twitter X)
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर सीरीज हारने के बाद टीम इंडिया की काफी आलोचना की जा रही है और उनके गेम प्लान को लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं। कई क्रिकेट एक्स्पर्ट्स ने इस बारे में बात की है और खुद बोर्ड ने इस मामले को लेकर रिव्यू मीटिंग कर चुकी है। इस मीटिंग में सवाल जवाब हुए और टीम से जुड़े खुद सख्त कदम उठाने की बात कही गई।
लेकिन पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर भारत के इस प्रदर्शन से कुछ ज्यादा ही नाराज हैं। उन्होंने बीसीसीआई को संदेश दिया है कि कैसे टीम इंडिया में फिर से चीजें ठीक की जा सकती हैं।
सुनील गावस्कर ने स्पोर्ट्स स्टार के एक कॉलम में लिखा
‘लगातार दो टेस्ट सीरीज हारने और बुरी हार के बाद, बाकी अंतरराष्ट्रीय सीजन के बारे में एक नीरस भावना है। नई सीरीज की प्रत्याशा में जो उत्साह आमतौर पर होता है वह नहीं दिखता है और मैदान पर जो उदासीनता फैंस में साफ नजर आती है। ऐसी स्थिति में पहला निर्णय यह लेना है कि क्या तत्काल भविष्य को देखना है या भारतीय क्रिकेट को फिर से कैसे आगे बढ़ाना है। इस पर आगे देखना होगा।”
‘अगले कुछ महीने सीमित ओवरों के क्रिकेट और आईपीएल के इर्द-गिर्द ही रहने वाले हैं। ऐसे में सफेद गेंद के प्रदर्शन से हमें टेस्ट क्रिकेट की कमियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इन पर भी ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए नया चक्र जून के मध्य से इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के साथ शुरू होगा।’
इंग्लैंड ने इन गलतियों को दोहराना मूर्खता होगी
‘ऑस्ट्रेलिया में जो गलतियां की गईं, उन्हें दोहराया नहीं जाना चाहिए। टीम को इंग्लैंड में एक समूह में पहुंचना चाहिए न कि चार बैचों में, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में किया गया था। ऑस्ट्रेलिया में पहले दो दिनों तक टीम कप्तान, उप-कप्तान और कोच के बिना थी। इससे घरेलू टीम को किस तरह का संदेश जाता है। यह एक ऐसी टीम है जो बिना किसी लीडरशिप ग्रुप के आई है। निश्चित रूप से बीसीसीआई ऐसा दोबारा नहीं होने देगा। हां, चोट से उबरने वाले कुछ खिलाड़ी बाद में टीम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन लीडर्स को सबसे पहले पहुंचना चाहिए, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि टीम लड़ाई के लिए तैयार है।’
इंग्लैंड में भारत को प्रैक्टिस मैच खेलने चाहिए
उन्होंने कहा, ‘अब जबकि भारत ने WTC फाइनल के लिए क्वॉलिफाई नहीं किया है तो टीम के पास कुछ अभ्यास मैच खेलकर खुद को ढालने के लिए एक अतिरिक्त सप्ताह है। इंग्लैंड की परिस्थितियों का मतलब है कि गेंद हवा में स्विंग करेगी और पिच होने के बाद सीम करेगी। कोई भी व्यक्ति नेट पर कितना भी अभ्यास कर ले, यह जानना कि अगर कोई बल्लेबाज नेट पर कुछ बार आउट भी हो जाता है, तो भी वह बल्लेबाजी जारी रख सकता है, अच्छी मानसिक तैयारी नहीं है। अभ्यास मैचों के लिए विपक्षी टीम शीर्ष श्रेणी की ना हो, तो भी कोई बात नहीं; मैच में बनाए गए रन और लिए गए विकेट आत्मविश्वास को काफी बढ़ा देते हैं।’
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