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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने JKCA के नेता फारूक अब्दुल्ला और कंपनी पर दायर चार्जशीट को किया रद्द

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने JKCA के नेता फारूक अब्दुल्ला और कंपनी पर दायर चार्जशीट को किया रद्द

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने JKCA के नेता फारूक अब्दुल्ला और कंपनी पर दायर चार्जशीट को किया रद्द

J&K Stadium (Pic Source-X)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ (JKCA) में अनियमितताओं के धन शोधन के आरोपी के संबंध में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। 14 अगस्त को राज्य के उच्च न्यायालय ने ED द्वारा दायर आरोपी को पूरी तरह से रद्द कर दिया है।

न्यायमूर्ति संजीव कुमार जिन्होंने इस चीज को लेकर कार्यवाही की है, उन्होंने कहा कि जिन भी लोगों के ऊपर आरोप लगाया गया है उन्होंने कोई भी अपराध नहीं किया था और इसीलिए आरोप पत्र को रद्द कर दिया गया है। ED ने आरोप पत्र में नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख अब्दुल्ला, एहसान अहमद मिर्जा जो JKCA के पूर्व कोषाध्यक्ष रहे हैं, मीर मंजूर ग़ज़नफर, और अन्य के खिलाफ आरोप लगाए थे।

ED ने JKCA पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मिले फंड को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की थी। यह बताया गया था कि वित्तीय वर्ष 2005-2006 से 2011-12 के दौरान तीन अलग-अलग बैंक खातों में 94.06 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। यही वजह है कि अब्दुल्ला, मिर्जा गजनफर, पूर्व लेखककार बशीर अहमद मिसगर, और गुलजार अहमद बेग पर JKCA ने 43.69 करोड़ रुपए के धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।

इसी के बाद ED ने 2018 में सीबीआई द्वारा इसी आरोप पर अब्दुल्ला और बाकी सभी लोगों के ऊपर आरोप पत्र का उल्लेख करते हुए मामला दर्ज किया जबकि पहले तीन अलग-अलग आदेश पारित किए गए थे। इसके अलावा ED ने चार्जशीट के आधार पर नवंबर 2019 में मिर्जा को गिरफ्तार किया और उसका मामला अभी भी चल रहा है।

हमारी याचिका स्वीकार कर ली गई है, ED के पास मामले पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था: शारिक जे रेयाज

मिर्जा और गजनफर का प्रतिनिधित्व शारिक जे रियाज ने किया था क्योंकि उन्होंने ED द्वारा दायर मामले को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय से संपर्क किया था। Additional Solicitor जनरल वी राजू ने एड की ओर से बहस की और फैसला 7 अगस्त के लिए रिजर्व रख लिया गया।

हालांकि रेयाज ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि ‘हमारी दलील है कि कोई गलत अपराध नहीं किया गया था।’ उनके पक्ष में अदालत के फैसले पर बातचीत की गई है। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर भी खुलासा किया है कि ED के पास उक्त मामले पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था।

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