
Kochi Tuskers
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बीसीसीआई को करारा झटका दिया। कोर्ट ने ऑर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई की याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अब बंद हो चुकी आईपीएल फ्रैंचाइजी कोच्चि टस्कर्स केरल के पक्ष में 538 करोड़ रुपये से अधिक के मध्यस्थ के फैसले को चुनौती दी थी।
वहीं सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस आरआई छागला ने कहा कि कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
2011 में बीसीसीआई ने फ्रैंचाइजी को किया टर्मिनेट
बता दें कि यह फ्रेंचाइजी 2011 में आईपीएल में सिर्फ़ एक साल के लिए खेली थी, जो लीग का चौथा संस्करण था। कोच्चि टस्कर्स का मालिकाना हक पहले रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (RSW) के पास था। बाद में इसे कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (KCPL) द्वारा संचालित किया गया। सितंबर 2011 में बीसीसीआई ने फ्रैंचाइजी को टर्मिनेट कर दिया।
फ्रैंचाइजी के टर्मिनेट के पीछे का कारण फ्रैंचाइजी के मालिक बीसीसीआई की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके थे। फ्रैंचाइची के टर्मिनेट होने के बाद RSW और KCPL ने मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की। 22 जून, 2015 को, मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने ब्याज और लागतों के साथ KCPL को 384 करोड़ रुपये और RSW को 153 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने का आदेश दिया। इसके बाद बीसीसीआई ने कोर्ट में इसको चुनौती दी थी।
BCCI ने जब 2011 में आईपीएल टीमों की संख्या 10 की, तो कोच्चि टस्कर्स को रोंदेवू स्पोर्स्ट्स वर्ल्ड कंपनी ने 1555 करोड़ रुपये में खरीदा था। टीम महेला जयवर्धने की कप्तानी मे खेली थी। इस टीम में ब्रैंडन मैकुलम, रवींद्र जडेजा, मुथैया मुरलीधरन जैसे स्टार खिलाड़ी शामिल थे। हालांकि, टीम 14 मैचों में से सिर्फ 6 ही मैच जीत सकी और अंकतालिका में 8वें नंबर पर रहकर प्लेऑफ में नहीं पहुंच सकी।