
Sachin Tendulkar (Image Credit Twitter X)
क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) पर अपने विचार साझा किए। तेंदुलकर क्रिकेट जगत में हमेशा से ही एक जानी मानी हस्ती रहे हैं, उन्हें खेल को अलविदा कहे तो 12 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी वह अधिकतर खेल से जुड़े हुए ही पाए जाते हैं। तेंदुलकर क्रिकेट जगत और क्रिकेट से जुड़े नियमो में हो रहे बदलाव का बहुत बारीकी से विश्लेषण करते हैं, और भारत के किस भी मुकाबले को नहीं छोड़ते।
हाल फिलहाल में रेडिट मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक दर्शक ने सचिन से सवाल किया की अगर उन्हें मौका मिले कभी क्रिकेट का कोई एक नियम बदलने का तो वह कोनसा एक नियम हैं जो वह बदलना चाहते हैं?, तो उस पर उन्होंने झट से जवाब दिया की वह डीआरएस के निर्णय को बदलना चाहेंगे।
डीआरएस के विषय पर सचिन की राय
सचिन का कहना हैं की इस डीआरएस की प्रक्रिया में कुछ कमियां हैं, जैसे बॉल ट्रैकिंग के वक्त गेंद विकेट पर लगे तो फैसला साफ साफ आउट होना चाहिए लेकिन आज के जमाने में “अंपायर्स कॉल” की वजह से बल्लेबाज को नॉट आउट कर्रार दे दिया जाता है।
वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा के साथ बातचीत के दौरान सचिन ने एलबीडब्ल्यू आउट के लिए डीआरएस का फैसला क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम के पक्ष में करने की वकालत की थी। एक बात जिससे मैं सहमत नहीं हूँ, वह है आईसीसी का डीआरएस, जिसका वे काफी समय से इस्तेमाल कर रहे हैं।
एलबीडब्ल्यू के मामले में मैदान पर लिए गए फैसले को पलटने के लिए गेंद का 50% से ज्यादा हिस्सा स्टंप्स पर लगना जरूरी है। वे (बल्लेबाज या गेंदबाज) सिर्फ इसलिए ऊपर गए हैं क्योंकि वे मैदान पर लिए गए फैसले से नाखुश हैं इसलिए जब फैसला थर्ड अंपायर के पास जाए, तो तकनीक को अपना काम करने दें; बिल्कुल टेनिस की तरह – या तो इन या आउट, बीच में कुछ नहीं होता,” उन्होंने वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा के साथ एक वीडियो चैट में कहा था।
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