
IND vs ENG (Image Credit- Twitter X)
क्या था मामला ?
भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया चौथा टी20 मैच विवाद का केंद्र बन गया, क्योंकि भारत द्वारा कन्कशन सब्स्टीट्यूट के इस्तेमाल पर कई सवाल खड़े हो गए। भारत की पारी के अंतिम ओवर की पांचवीं गेंद पर जेमी ओवरटन की बाउंसर शिवम दुबे के हेलमेट पर लगी। जब भारत गेंदबाजी के लिए आया तो ऑलराउंडर मैदान में नहीं उतरा और हर्षित राणा को उनके कन्कशन सब्स्टीट्यूट के रूप में टीम में शामिल किया गया था।
कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम और इंग्लैंड द्वारा इसका विरोध
जो लोग इस नियम के बारे में नहीं जानते हैं, उन्हें बता दें कि कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियमों के अनुसार, जो खिलाड़ी दूसरे की जगह लेता है, उसे समान-से-समान (like-for-like) सब्स्टीट्यूट होना चाहिए। दुबे क्योंकि एक बल्लेबाजी ऑलराउंडर हैं, तो उन्हीं की तरह किसी क्रिकेटर को मैदान पर खेलने के लिए उतरना चाहिए, जिसका आदर्श रूप रमनदीप सिंह थे।
लेकिन भारत ने हर्षित राणा को शामिल किया, और उनके प्रदर्शन 3/33 के दम पर भारत ने मैच 15 रन से जीत हासिल की, जिसकी मैच खत्म होने के बाद इंग्लैंड और पूर्व क्रिकेटरों ने नाराजगी जताई।
क्या कहता है कि आईसीसी का कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम
आईसीसी की नियमावली की धारा 1.2.7.3 कहती है कि आईसीसी मैच रेफरी को आम तौर पर कन्कशन रिप्लेसमेंट अनुरोध को मंजूरी देनी चाहिए, यदि सब्स्टीट्यूटएक समान खिलाड़ी है जिसके शामिल होने से मैच के शेष भाग के लिए उसकी टीम को अत्यधिक लाभ नहीं होगा।
लेकिन भारत ने किया अलग नियम का इस्तेमाल
लेकिन भारतीय टीम ने आईसीसी की टी20 मैच खेलने की नीति का पालन करने वाली धारा 1.1.7.4 का इस्तेमाल किया, जो कहती है कि यह आकलन करने में कि क्या नामांकित कन्कशन रिप्लेसमेंट को एक समान खिलाड़ी माना जाना चाहिए, आईसीसी मैच रेफरी को उस संभावित भूमिका पर विचार करना चाहिए जो कि शेष मैच के दौरान कन्कशन खिलाड़ी द्वारा निभाई गई होगी और सामान्य भूमिका जो नामांकित कन्कशन रिप्लेसमेंट द्वारा निभाई जाएगी।
इसका परिणाम क्या होता है?
दुबे जो मैच की दूसरी पारी में भारत के लिए तेज गेंदबाज विकल्प थे, वह मैदान पर खेलने नहीं उतरे। इसलिए, भारतीय टीम ने दुबे की भूमिका को हर्षित राणा के कन्कशन रिप्लेसमेंट रूप में बदल दिया, क्योंकि वह भी तेज गेंदबाजी करते हैं।